Nidhi Saxena

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मेरे सिपाही


बीत गए बरसो और अभी तक तुम वापस नहीं आए ।
बोला था आ जाऊंगा जल्दी लेकिन तुम नही आए ।
मैं यहां ठीक हूं , मेरी चिंता ना करना तुम।
ऐसा भी नही की तुम्हारी याद सताती है ।
लेकिन तुमने कहा था और तुम नही आए ।
ऐसा नही मैं अकेला महसूस करती हूं ।
लेकिन जब भी अकेले बैठती हूं ।
बस तब ही तुम्हारे साथ बिताए ,
वो दो दिन याद आ जाते है ।
लेकिन तुम्हारी याद नही आती ।
ऐसा नही की कहीं नहीं जाती हूं ,
 लेकिन तुम्हारे साथ चले हुए ,
वो चार कदम याद आ जाते ।
नही ऐसा नही की तुम्हारी याद आती है ।
नही मुझे तुम्हारी याद नही आती ।
ऐसा नही मैं कुछ नही खाती ,
बस तुम्हारे साथ किया हुआ ,
वो लंच याद आता है ।
बस इसीलिए कुछ खाया नही जाता ।
लेकिन ऐसा नही तुम्हारी याद आती है ।
ऐसा नही की नींद नहींआती है ,
लेकिन तुम्हारे साथ ,
वो सपनो की दुनिया,
 देखना याद आता है ।
बस इसीलिए सोती नही हूं आजकल ।
क्यों तुम मेरी सौतन के पास,
 बार बार चले जाते हो ।
क्यों तुम्हे मेरी फिक्र नहीं होती ।
इस बार तुम तो एक महीने की छुट्टी लेकर आए थे ।
फिर क्यों दो दिन में ही चले गए वापस ।
ऐसा नही की तुम्हारी याद आती है ।
बस तुम्हारे साथ बिताया हर पल ,
चैन नहीं लेने देता ।
आ जाओ मेरी सौतन को छोड़ कर ।
        मेरे आर्मी मैन 
 तुम्हारे इंतजार में तुम्हारी अर्धांगिनी ।

             स्वरचित: नीर( निधि सक्सैना)
                                 

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3 Comments

Pratikhya Priyadarshini

04-Dec-2022 10:38 PM

Bahut khoob 🌺

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Sachin dev

04-Dec-2022 10:38 AM

Well done

Reply

Gunjan Kamal

03-Dec-2022 11:48 PM

वाह! बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻

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